मैं अकेला था -22-Nov-2022
"प्रतियोगिता "
दिनांक - 22/11/२०२२
विषय -पथिक
विषय -कविता
शीर्षक -मैं अकेला था
अकेला था
मैं पथिक ,
पथ पर चलना मेरा काम ।
ना मिले जब तक लक्ष्य,
है आराम हराम ।
मिले दोराहे चौराहे चौराहे ।
मन चाहे अनचाहे ,
परिणाम कुछ तो निकले।
सब दिन एक से नहीं होते ,
कुछ बुरे कुछ भले।
कुछ पीछे छूट गए ,
कुछ निकल गए आगे।
कुछ कदम मिलाकर चले,
कुछ अभी-अभी जागे।
कुछ सुख से थे,
कुछ दुख से थे।
कुछ सुख के थे,
कुछ दुख के थे।
सब कुछ लिया दिया किया,
जिस सौदे का मेला था।
जोड़ा तो सब कुछ था ,
पर विदा बेला पर अकेला था।
विदा बेला पर अकेला था।
के एल सोनी विनोदी महाराजपुर जिला छतरपुर मप्र
Rajeev kumar jha
23-Nov-2022 12:30 PM
बहुत खूब
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Teena yadav
22-Nov-2022 07:37 PM
OSm
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Pratikhya Priyadarshini
22-Nov-2022 01:03 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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